उड्डियानबंध योग का बहुत ही शक्तिशाली एवं महत्वपूर्ण अभ्यास है। यह हमारे नाभि केंद्र में स्थित सूर्य चक्र को प्रभावित करता है। उड्डियान बंध को खड़े होकर एवं बैठ कर दोनों स्थितियों में किया जाता है। इसमें श्वास को पूरी तरह से बाहर निकालकर पेट को अंदर और ऊपर की ओर खींचते हैं। जितनी देर तक सांस को बाहर रोके उतनी देर तक आराम से इस अभ्यास को करते हैं। इसके अभ्यास के साथ ही साथ जालंधर बंध भी लगाते हैं जिसमें सिर को आगे झुका कर ठुड्डी को सीने से लगाते हैं ।